Executive Engineer caught by Vigilance while taking bribe of 2 lakh in Motihari.
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Executive Engineer caught by Vigilance while taking bribe of 2 lakh in Motihari. |
लोकल पब्लिक न्यूज़/पूर्वी चम्पारण: निगरानी ब्यूरो ने मंगलवार की सुबह एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए योजना एवं विकास विभाग के कार्यपालक अभियंता अजय कुमार को 2 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई मोतिहारी के राजा बाजार स्थित अभियंता के आवास पर की गई, जिसके बाद जिले के प्रशासनिक और संबंधित विभागों में हड़कंप मच गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, संवेदक संतोष कुमार यादव ने कल्याणपुर प्रखंड में पंचायत सरकार भवन का निर्माण कार्य पूरा किया था। इस परियोजना की कुल लागत 3 करोड़ रुपये थी, जिसमें से प्रारंभिक भुगतान के तौर पर 60 लाख रुपये का बिल पास होना था। संतोष ने जब इस बिल के भुगतान के लिए कार्यपालक अभियंता अजय कुमार से संपर्क किया, तो अभियंता ने बिल पास करने के एवज में 3 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की। ठेकेदार ने इसकी शिकायत निगरानी ब्यूरो से की, जिसके बाद ब्यूरो ने मामले की जांच शुरू की।
जांच में शिकायत सत्य पाए जाने पर निगरानी ब्यूरो ने ठेकेदार संतोष के साथ मिलकर एक जाल बिछाया। मंगलवार की सुबह संतोष 2 लाख रुपये लेकर अजय कुमार के राजा बाजार स्थित आवास पर पहुंचा। निगरानी की टीम पहले से ही वहां घात लगाए हुए थी। जैसे ही ठेकेदार ने रुपये अभियंता को सौंपे और अभियंता ने नोट गिनना शुरू किया, निगरानी टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए अजय कुमार को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के समय उनके पास से 2 लाख रुपये की नकदी बरामद की गई।
गिरफ्तारी के बाद कार्यपालक अभियंता अजय कुमार को मोतिहारी के सर्किट हाउस लाया गया, जहां उनसे गहन पूछताछ की गई। निगरानी ब्यूरो के अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में आगे की जांच जारी है और अन्य संभावित संलिप्त व्यक्तियों की भूमिका की भी पड़ताल की जा रही है। इस कार्रवाई ने जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया है, साथ ही प्रशासनिक हलकों में सनसनी फैला दी है।
इस घटना के बाद जिले के अन्य विभागों में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है। स्थानीय लोग और ठेकेदार इस कार्रवाई को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम मान रहे हैं। निगरानी ब्यूरो ने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी मुहिम आगे भी जारी रहेगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
इस मामले ने एक बार फिर सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर किया है। कार्यपालक अभियंता जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति की इस तरह की हरकत ने न केवल प्रशासनिक व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि आम जनता के बीच भी आक्रोश पैदा किया है।
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